
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त 2025 को चीन के तियानजिन पहुंचे, जहाँ उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात शुरू हो गई है। यह दौरा खास है क्योंकि 2018 के बाद यह पीएम मोदी की पहली चीन यात्रा है।
अमेरिका की टैरिफ़ नीति का साया
यह बैठक ऐसे वक्त हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। भारत अब चीन के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को मज़बूत कर अपनी रणनीतिक स्थिति संतुलित करना चाहता है।
व्यापार पर चर्चा
2024 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब $127.7 अरब डॉलर का रहा था। माना जा रहा है कि इस बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने इस व्यापार को संतुलित और टिकाऊ बनाने की दिशा में विचार-विमर्श किया है।
रूस के बाद अब चीन में आमना-सामना
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात अक्तूबर 2024 में रूस में हुई थी। उस समय दोनों नेताओं ने सीमा विवाद से आगे बढ़ते हुए आर्थिक सहयोग पर जोर दिया था।
कूटनीति या मजबूरी?
यह मुलाकात अमेरिका से बिगड़ते रिश्तों की भरपाई की कोशिश है, वहीं अन्य का कहना है कि भारत अपनी “मल्टी-अलायंस पॉलिसी” के तहत संतुलन बना रहा है।

अन्य देशों से भी मिलेंगे पीएम
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम मोदी इस समिट के दौरान कई और देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी मिलेंगे। इससे साफ है कि भारत इस वैश्विक मंच का उपयोग बड़े रणनीतिक संदेश देने में कर रहा है।
भारत और चीन के बीच यह तियानजिन बैठक न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को नया आकार दे सकती है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की विदेश नीति की दिशा भी तय कर सकती है।